अनुवाद: सूरह अल-क़द्र (मूल्य / नियति) سُورَة القدر
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।
إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ ١
हमने इसे क़द्र की रात में अवतरित किया (१)
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ ٢
और तुम्हें क्या मालूम कि क़द्र की रात क्या है? (२)
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِنْ أَلْفِ شَهْرٍ ٣
क़द्र की रात उत्तम है हज़ार महीनों से, (३)
تَنَزَّلُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِمْ مِنْ كُلِّ أَمْرٍ ٤
उसमें फ़रिश्तें और रूह हर महत्वपूर्ण मामलें में अपने रब की अनुमति से उतरते है (४)
سَلَامٌ هِيَ حَتَّىٰ مَطْلَعِ الْفَجْرِ ٥
वह रात पूर्णतः शान्ति और सलामती है, उषाकाल के उदय होने तक (५)