सूरह अल-इन्शिराह (राहत) سُورَة الشرح

सूरह अल-इन्शिराह क़ुरआन की चौरानवेवीं सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 8 आयतें हैं और इसमें अल्लाह की मदद, संघर्षों से राहत और खुशियों की प्राप्ति के बारे में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अश-शरह (ह्रदय का विस्तार) سُورَة الشرح

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ ١

क्या ऐसा नहीं कि हमने तुम्हारा सीना तुम्हारे लिए खोल दिया? (१)

وَوَضَعْنَا عَنْكَ وِزْرَكَ ٢

और तुमपर से तुम्हारा बोझ उतार दिया, (२)

الَّذِي أَنْقَضَ ظَهْرَكَ ٣

जो तुम्हारी कमर तोड़े डाल रहा था? (३)

وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ ٤

और तुम्हारे लिए तुम्हारे ज़िक्र को ऊँचा कर दिया? (४)

فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا ٥

अतः निस्संदेह कठिनाई के साथ आसानी भी है (५)

إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا ٦

निस्संदेह कठिनाई के साथ आसानी भी है (६)

فَإِذَا فَرَغْتَ فَانْصَبْ ٧

अतः जब निवृत हो तो परिश्रम में लग जाओ, (७)

وَإِلَىٰ رَبِّكَ فَارْغَبْ ٨

और अपने रब से लौ लगाओ (८)