सूरह अल-माअउन (छोटी दयाएँ) سُورَة الماعون

सूरह अल-माअउन क़ुरआन की एकसौ सातवीं सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 7 आयतें हैं और इसमें समाज में छोटी-छोटी दयाओं, मदद और किसी के अधिकारों की अवहेलना के बारे में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अल-मा'ऊन (सामान्य सहायता) سُورَة الماعون

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

أَرَأَيْتَ الَّذِي يُكَذِّبُ بِالدِّينِ ١

क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है? (१)

فَذَٰلِكَ الَّذِي يَدُعُّ الْيَتِيمَ ٢

वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है, (२)

وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ ٣

और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता (३)

فَوَيْلٌ لِلْمُصَلِّينَ ٤

अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए, (४)

الَّذِينَ هُمْ عَنْ صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ ٥

जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं, (५)

الَّذِينَ هُمْ يُرَاءُونَ ٦

जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं, (६)

وَيَمْنَعُونَ الْمَاعُونَ ٧

और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते (७)