सूरह अत-तीन (अंजीर) سُورَة التين

सूरह अत-तीन क़ुरआन की पचानवेवीं सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 8 आयतें हैं और इसमें मानवता, अच्छे कर्म और विश्वास के बारे में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अत-तीन (अंजीर) سُورَة التين

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

وَالتِّينِ وَالزَّيْتُونِ ١

साक्षी है तीन और ज़ैतून (१)

وَطُورِ سِينِينَ ٢

और तूर सीनीन, (२)

وَهَٰذَا الْبَلَدِ الْأَمِينِ ٣

और यह शान्तिपूर्ण भूमि (मक्का) (३)

لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ فِي أَحْسَنِ تَقْوِيمٍ ٤

निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया (४)

ثُمَّ رَدَدْنَاهُ أَسْفَلَ سَافِلِينَ ٥

फिर हमने उसे निकृष्टतम दशा की ओर लौटा दिया, जबकि वह स्वयं गिरनेवाला बना (५)

إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَلَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ ٦

सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होनेवाला बदला है (६)

فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعْدُ بِالدِّينِ ٧

अब इसके बाद क्या है, जो बदले के विषय में तुम्हें झुठलाए? (७)

أَلَيْسَ اللَّهُ بِأَحْكَمِ الْحَاكِمِينَ ٨

क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं हैं? (८)