सूरह अल-आ'ला (सबसे उच्च) سُورَة الأعلى

सूरह अल-आ'ला क़ुरआन की सत्तासीवीं सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 19 आयतें हैं और इसमें अल्लाह की महानता, उसकी पवित्रता और उसके अनुग्रह के बारे में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अल-अ'ला (सर्वोच्च) سُورَة الأعلى

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

سَبِّحِ اسْمَ رَبِّكَ الْأَعْلَى ١

तसबीह करो, अपने सर्वाच्च रब के नाम की, (१)

الَّذِي خَلَقَ فَسَوَّىٰ ٢

जिसने पैदा किया, फिर ठीक-ठाक किया, (२)

وَالَّذِي قَدَّرَ فَهَدَىٰ ٣

जिसने निर्धारित किया, फिर मार्ग दिखाया, (३)

وَالَّذِي أَخْرَجَ الْمَرْعَىٰ ٤

जिसने वनस्पति उगाई, (४)

فَجَعَلَهُ غُثَاءً أَحْوَىٰ ٥

फिर उसे ख़ूब घना और हरा-भरा कर दिया (५)

سَنُقْرِئُكَ فَلَا تَنْسَىٰ ٦

हम तुम्हें पढ़ा देंगे, फिर तुम भूलोगे नहीं (६)

إِلَّا مَا شَاءَ اللَّهُ ۚ إِنَّهُ يَعْلَمُ الْجَهْرَ وَمَا يَخْفَىٰ ٧

बात यह है कि अल्लाह की इच्छा ही क्रियान्वित है। निश्चय ही वह जानता है खुले को भी और उसे भी जो छिपा रहे (७)

وَنُيَسِّرُكَ لِلْيُسْرَىٰ ٨

हम तुम्हें सहज ढंग से उस चीज़ की पात्र बना देंगे जो सहज एवं मृदुल (आरामदायक) है (८)

فَذَكِّرْ إِنْ نَفَعَتِ الذِّكْرَىٰ ٩

अतः नसीहत करो, यदि नसीहत लाभप्रद हो! (९)

سَيَذَّكَّرُ مَنْ يَخْشَىٰ ١٠

नसीहत हासिल कर लेगा जिसको डर होगा, (१०)

وَيَتَجَنَّبُهَا الْأَشْقَى ١١

किन्तु उससे कतराएगा वह अत्यन्त दुर्भाग्यवाला, (११)

الَّذِي يَصْلَى النَّارَ الْكُبْرَىٰ ١٢

जो बड़ी आग में पड़ेगा, (१२)

ثُمَّ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيَىٰ ١٣

फिर वह उसमें न मरेगा न जिएगा (१३)

قَدْ أَفْلَحَ مَنْ تَزَكَّىٰ ١٤

सफल हो गया वह जिसने अपने आपको निखार लिया, (१४)

وَذَكَرَ اسْمَ رَبِّهِ فَصَلَّىٰ ١٥

और अपने रब के नाम का स्मरण किया, अतः नमाज़ अदा की (१५)

بَلْ تُؤْثِرُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا ١٦

नहीं, बल्कि तुम तो सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो, (१६)

وَالْآخِرَةُ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ ١٧

हालाँकि आख़िरत अधिक उत्तम और शेष रहनेवाली है (१७)

إِنَّ هَٰذَا لَفِي الصُّحُفِ الْأُولَىٰ ١٨

निस्संदेह यही बात पहले की किताबों में भी है; (१८)

صُحُفِ إِبْرَاهِيمَ وَمُوسَىٰ ١٩

इबराईम और मूसा की किताबों में (१९)