सूरह अन-नसर (ईश्वरीय सहायता) سُورَة النصر

सूरह अन-नसर क़ुरआन की एकसौ दसवीं सूरह है, जो मदीना में अवतरित हुई। इसमें 3 आयतें हैं और इसमें अल्लाह की सहायता, उसकी विजय और उसके आशीर्वाद की चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अन-नस्र (सहायता / विजय) سُورَة النصر

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

إِذَا جَاءَ نَصْرُ اللَّهِ وَالْفَتْحُ ١

जब अल्लाह की सहायता आ जाए और विजय प्राप्त हो, (१)

وَرَأَيْتَ النَّاسَ يَدْخُلُونَ فِي دِينِ اللَّهِ أَفْوَاجًا ٢

और तुम लोगों को देखो कि वे अल्लाह के दीन (धर्म) में गिरोह के गिरोह प्रवेश कर रहे है, (२)

فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَاسْتَغْفِرْهُ ۚ إِنَّهُ كَانَ تَوَّابًا ٣

तो अपने रब की प्रशंसा करो और उससे क्षमा चाहो। निस्संदेह वह बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला है (३)