सूरह अल-असर (समय) سُورَة العصر

सूरह अल-असर क़ुरआन की एकसौ तीसरी सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 3 आयतें हैं और इसमें समय के महत्व, कार्यों की सच्चाई और अच्छे कर्मों की आवश्यकता पर चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अल-अस्र (समय) سُورَة العصر

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

وَالْعَصْرِ ١

गवाह है गुज़रता समय, (१)

إِنَّ الْإِنْسَانَ لَفِي خُسْرٍ ٢

कि वास्तव में मनुष्य घाटे में है, (२)

إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَتَوَاصَوْا بِالْحَقِّ وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ ٣

सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और अच्छे कर्म किए और एक-दूसरे को हक़ की ताकीद की, और एक-दूसरे को धैर्य की ताकीद की (३)