सूरह अल-मसद (ताड़ की तंतु) سُورَة المسد

सूरह अल-मसद क़ुरआन की एकसौ ग्यारहवीं सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 5 आयतें हैं और इसमें अभु-लहब और उनकी पत्नी की बुराई और उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अल-मसद (खजूर की रस्सी) سُورَة المسد

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

تَبَّتْ يَدَا أَبِي لَهَبٍ وَتَبَّ ١

टूट गए अबू लहब के दोनों हाथ और वह स्वयं भी विनष्ट हो गया! (१)

مَا أَغْنَىٰ عَنْهُ مَالُهُ وَمَا كَسَبَ ٢

न उसका माल उसके काम आया और न वह कुछ जो उसने कमाया (२)

سَيَصْلَىٰ نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ ٣

वह शीघ्र ही प्रज्वलित भड़कती आग में पड़ेगा, (३)

وَامْرَأَتُهُ حَمَّالَةَ الْحَطَبِ ٤

और उसकी स्त्री भी ईधन लादनेवाली, (४)

فِي جِيدِهَا حَبْلٌ مِنْ مَسَدٍ ٥

उसकी गरदन में खजूर के रेसों की बटी हुई रस्सी पड़ी है (५)