सूरह अश-शुआरा (कवि) سُورَة الشعراء

सूरह अश-शुआरा क़ुरआन की छब्बीसवीं सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 227 आयतें हैं और इसमें पैगंबरों के संघर्षों और उनके संदेश के बारे में कविताओं के रूप में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अश-शुअरा (कवि) سُورَة الشعراء

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

طسم ١

ता॰ सीन॰ मीम॰ (१)

تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ ٢

ये स्पष्ट किताब की आयतें है (२)

لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ ٣

शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे (३)

إِنْ نَشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ ٤

यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ (४)

وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ ذِكْرٍ مِنَ الرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ ٥

उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है (५)

فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنْبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ ٦

अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है (६)

أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ ٧

क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है? (७)

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ٨

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (८)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ٩

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (९)

وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰ أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ ١٠

और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा - (१०)

قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ ١١

फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?" (११)

قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ ١٢

उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे, (१२)

وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنْطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَارُونَ ١٣

और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे (१३)

وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنْبٌ فَأَخَافُ أَنْ يَقْتُلُونِ ١٤

और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।" (१४)

قَالَ كَلَّا ۖ فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا ۖ إِنَّا مَعَكُمْ مُسْتَمِعُونَ ١٥

कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है (१५)

فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٦

अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के रब के भेजे हुए है (१६)

أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ ١٧

कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे।" (१७)

قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ ١٨

(फ़िरऔन ने) कहा, "क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा, (१८)

وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنْتَ مِنَ الْكَافِرِينَ ١٩

और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।" (१९)

قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ ٢٠

कहा, ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था (२०)

فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ ٢١

फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया (२१)

وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدْتَ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٢٢

यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।" (२२)

قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ ٢٣

फ़िरऔन ने कहा, "और यह सारे संसार का रब क्या होता है?" (२३)

قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ مُوقِنِينَ ٢٤

उसने कहा, "आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।" (२४)

قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ ٢٥

उसने अपने आस-पासवालों से कहा, "क्या तुम सुनते नहीं हो?" (२५)

قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ ٢٦

कहा, "तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।" (२६)

قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ ٢٧

बोला, "निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।" (२७)

قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُونَ ٢٨

उसने कहा, "पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।" (२८)

قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ ٢٩

बोला, "यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।" (२९)

قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُبِينٍ ٣٠

उसने कहा, "क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?" (३०)

قَالَ فَأْتِ بِهِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ ٣١

बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” । (३१)

فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُبِينٌ ٣٢

फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते है कि वह एक प्रत्यक्ष अज़गर है (३२)

وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ ٣٣

और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते है कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है (३३)

قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَٰذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ ٣٤

उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, "निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है (३४)

يُرِيدُ أَنْ يُخْرِجَكُمْ مِنْ أَرْضِكُمْ بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ ٣٥

चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करें; तो अब तुम क्या कहते हो?" (३५)

قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ ٣٦

उन्होंने कहा, "इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए, और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए (३६)

يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ ٣٧

कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।" (३७)

فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ ٣٨

अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए (३८)

وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنْتُمْ مُجْتَمِعُونَ ٣٩

और लोगों से कहा गया, "क्या तुम भी एकत्र होते हो?" (३९)

لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِنْ كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ ٤٠

कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए (४०)

فَلَمَّا جَاءَ السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ ٤١

फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, "क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?" (४१)

قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَمِنَ الْمُقَرَّبِينَ ٤٢

उसने कहा, "हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।" (४२)

قَالَ لَهُمْ مُوسَىٰ أَلْقُوا مَا أَنْتُمْ مُلْقُونَ ٤٣

मूसा ने उनसे कहा, "डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।" (४३)

فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ ٤٤

तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, "फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।" (४४)

فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ ٤٥

फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है (४५)

فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ ٤٦

इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े (४६)

قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ ٤٧

वे बोल उठे, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए - (४७)

رَبِّ مُوسَىٰ وَهَارُونَ ٤٨

मूसा और हारून के रब पर!" (४८)

قَالَ آمَنْتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ مِنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ ٤٩

उसने कहा, "तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।" (४९)

قَالُوا لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا مُنْقَلِبُونَ ٥٠

उन्होंने कहा, "कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है (५०)

إِنَّا نَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَنْ كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ ٥١

हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।" (५१)

وَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ ٥٢

हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।" (५२)

فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ ٥٣

इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा (५३)

إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ ٥٤

कि "यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है, (५४)

وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ ٥٥

और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है। (५५)

وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ ٥٦

और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।" (५६)

فَأَخْرَجْنَاهُمْ مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ ٥٧

इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों (५७)

وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ ٥٨

और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए (५८)

كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ ٥٩

ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया (५९)

فَأَتْبَعُوهُمْ مُشْرِقِينَ ٦٠

सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया (६०)

فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَىٰ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ ٦١

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, "हम तो पकड़े गए!" (६१)

قَالَ كَلَّا ۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ ٦٢

उसने कहा, "कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।" (६२)

فَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنِ اضْرِبْ بِعَصَاكَ الْبَحْرَ ۖ فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ ٦٣

तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "अपनी लाठी सागर पर मार।" (६३)

وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ ٦٤

और हम दूसरों को भी निकट ले आए (६४)

وَأَنْجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَنْ مَعَهُ أَجْمَعِينَ ٦٥

हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया (६५)

ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ ٦٦

और दूसरों को डूबो दिया (६६)

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ٦٧

निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (६७)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ٦٨

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (६८)

وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ ٦٩

और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ, (६९)

إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ ٧٠

जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौंम के लोगों से कहा, "तुम क्या पूजते हो?" (७०)

قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ ٧١

उन्होंने कहा, "हम बुतों की पूजा करते है, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।" (७१)

قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ ٧٢

उसने कहा, "क्या ये तुम्हारी सुनते है, जब तुम पुकारते हो, (७२)

أَوْ يَنْفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ ٧٣

या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते है?" (७३)

قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ ٧٤

उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।" (७४)

قَالَ أَفَرَأَيْتُمْ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ ٧٥

उसने कहा, "क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो, (७५)

أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ ٧٦

तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा? (७६)

فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ ٧٧

वे सब तो मेरे शत्रु है, सिवाय सारे संसार के रब के, (७७)

الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ ٧٨

जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है (७८)

وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ ٧٩

और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है (७९)

وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ ٨٠

और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है (८०)

وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ ٨١

और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा (८१)

وَالَّذِي أَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ ٨٢

और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा (८२)

رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ ٨٣

ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला। (८३)

وَاجْعَلْ لِي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ ٨٤

और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर (८४)

وَاجْعَلْنِي مِنْ وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ ٨٥

और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर (८५)

وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ ٨٦

और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है (८६)

وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ ٨٧

और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे। (८७)

يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ ٨٨

जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद, (८८)

إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ ٨٩

सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।" (८९)

وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ ٩٠

और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी (९०)

وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ ٩١

और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी (९१)

وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ ٩٢

और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो? (९२)

مِنْ دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ ٩٣

क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?" (९३)

فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ ٩٤

फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग (९४)

وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ ٩٥

और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब। (९५)

قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ ٩٦

वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे, (९६)

تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ ٩٧

"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे (९७)

إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ ٩٨

जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे (९८)

وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ ٩٩

और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया (९९)

فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ ١٠٠

अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है, (१००)

وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ ١٠١

और न घनिष्ट मित्र (१०१)

فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ ١٠٢

क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!" (१०२)

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ١٠٣

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं (१०३)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ١٠٤

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (१०४)

كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ ١٠٥

नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया; (१०५)

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ١٠٦

जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? (१०६)

إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ ١٠٧

निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ (१०७)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٠٨

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो (१०८)

وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٠٩

मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है (१०९)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١١٠

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।" (११०)

قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ ١١١

उन्होंने कहा, "क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?" (१११)

قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ ١١٢

उसने कहा, "मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है? (११२)

إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّي ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ ١١٣

उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती। (११३)

وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ ١١٤

और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ। (११४)

إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُبِينٌ ١١٥

मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।" (११५)

قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ ١١٦

उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।" (११६)

قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ ١١٧

उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया (११७)

فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ ١١٨

अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!" (११८)

فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ ١١٩

अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया (११९)

ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ ١٢٠

और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया (१२०)

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ١٢١

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (१२१)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ١٢٢

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (१२२)

كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ ١٢٣

आद ने रसूलों को झूठलाया (१२३)

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ ١٢٤

जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? (१२४)

إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ ١٢٥

मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ (१२५)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٢٦

अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो (१२६)

وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٢٧

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है। (१२७)

أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ ١٢٨

क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे? (१२८)

وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ ١٢٩

और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है? (१२९)

وَإِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ ١٣٠

और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो! (१३०)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٣١

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो (१३१)

وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُونَ ١٣٢

उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो (१३२)

أَمَدَّكُمْ بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ ١٣٣

उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से, (१३३)

وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ ١٣٤

और बाग़ो और स्रोतो से (१३४)

إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ ١٣٥

निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।" (१३५)

قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُنْ مِنَ الْوَاعِظِينَ ١٣٦

उन्होंने कहा, "हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो। (१३६)

إِنْ هَٰذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ ١٣٧

यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है (१३७)

وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ ١٣٨

और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।" (१३८)

فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ١٣٩

अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (१३९)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ١٤٠

और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (१४०)

كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ ١٤١

समूद ने रसूलों को झुठलाया, (१४१)

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ١٤٢

जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? (१४२)

إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ ١٤٣

निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ (१४३)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٤٤

अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो (१४४)

وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٤٥

मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है (१४५)

أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ ١٤٦

क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे, (१४६)

فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ ١٤٧

बाग़ों और स्रोतों (१४७)

وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ ١٤٨

और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है? (१४८)

وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ ١٤٩

तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो? (१४९)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٥٠

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो (१५०)

وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ ١٥١

और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो, (१५१)

الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ ١٥٢

जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।" (१५२)

قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ ١٥٣

उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है। (१५३)

مَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ ١٥٤

तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।" (१५४)

قَالَ هَٰذِهِ نَاقَةٌ لَهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَعْلُومٍ ١٥٥

उसने कहा, "यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है (१५५)

وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ ١٥٦

तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।" (१५६)

فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ ١٥٧

किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए (१५७)

فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ١٥٨

अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (१५८)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ١٥٩

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है (१५९)

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ ١٦٠

लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया; (१६०)

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ ١٦١

जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? (१६१)

إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ ١٦٢

मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ (१६२)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٦٣

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो (१६३)

وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٦٤

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है (१६४)

أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ ١٦٥

क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो, (१६५)

وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ ۚ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ ١٦٦

और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।" (१६६)

قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا لُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِينَ ١٦٧

उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।" (१६७)

قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُمْ مِنَ الْقَالِينَ ١٦٨

उसने कहा, "मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ। (१६८)

رَبِّ نَجِّنِي وَأَهْلِي مِمَّا يَعْمَلُونَ ١٦٩

ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।" (१६९)

فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ ١٧٠

अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया; (१७०)

إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ ١٧١

सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी (१७१)

ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ ١٧٢

फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया। (१७२)

وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَطَرًا ۖ فَسَاءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِينَ ١٧٣

और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी (१७३)

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ١٧٤

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (१७४)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ١٧٥

और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (१७५)

كَذَّبَ أَصْحَابُ الْأَيْكَةِ الْمُرْسَلِينَ ١٧٦

अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया (१७६)

إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ ١٧٧

जबकि शुऐब ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? (१७७)

إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ ١٧٨

मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ (१७८)

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ ١٧٩

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो (१७९)

وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٨٠

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है (१८०)

أَوْفُوا الْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا مِنَ الْمُخْسِرِينَ ١٨١

तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो (१८१)

وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ ١٨٢

और ठीक तराज़ू से तौलो (१८२)

وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ ١٨٣

और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो (१८३)

وَاتَّقُوا الَّذِي خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْأَوَّلِينَ ١٨٤

उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया हैं।" (१८४)

قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ ١٨٥

उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है (१८५)

وَمَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَإِنْ نَظُنُّكَ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ ١٨٦

और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते है (१८६)

فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِنَ السَّمَاءِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ ١٨٧

फिर तू हमपर आकाश को कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।" (१८७)

قَالَ رَبِّي أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ ١٨٨

उसने कहा, " मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।" (१८८)

فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ الظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ ١٨٩

किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी (१८९)

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ ١٩٠

निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं (१९०)

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ ١٩١

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है (१९१)

وَإِنَّهُ لَتَنْزِيلُ رَبِّ الْعَالَمِينَ ١٩٢

निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है (१९२)

نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الْأَمِينُ ١٩٣

इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है, (१९३)

عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ الْمُنْذِرِينَ ١٩٤

ताकि तुम सावधान करनेवाले हो (१९४)

بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُبِينٍ ١٩٥

स्पष्ट अरबी भाषा में (१९५)

وَإِنَّهُ لَفِي زُبُرِ الْأَوَّلِينَ ١٩٦

और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है (१९६)

أَوَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ آيَةً أَنْ يَعْلَمَهُ عُلَمَاءُ بَنِي إِسْرَائِيلَ ١٩٧

क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है? (१९७)

وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَىٰ بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ ١٩٨

यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते, (१९८)

فَقَرَأَهُ عَلَيْهِمْ مَا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ ١٩٩

और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते (१९९)

كَذَٰلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ ٢٠٠

इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है (२००)

لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ ٢٠١

वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें (२०१)

فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ ٢٠٢

फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी, (२०२)

فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُونَ ٢٠٣

तब वे कहेंगे, "क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?" (२०३)

أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ ٢٠٤

तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है? (२०४)

أَفَرَأَيْتَ إِنْ مَتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ ٢٠٥

क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें; (२०५)

ثُمَّ جَاءَهُمْ مَا كَانُوا يُوعَدُونَ ٢٠٦

फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है; (२०६)

مَا أَغْنَىٰ عَنْهُمْ مَا كَانُوا يُمَتَّعُونَ ٢٠٧

तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा (२०७)

وَمَا أَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنْذِرُونَ ٢٠٨

हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं। (२०८)

ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَالِمِينَ ٢٠٩

हम कोई ज़ालिम नहीं है (२०९)

وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيَاطِينُ ٢١٠

इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं। (२१०)

وَمَا يَنْبَغِي لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ ٢١١

न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है (२११)

إِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ ٢١٢

वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है (२१२)

فَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَٰهًا آخَرَ فَتَكُونَ مِنَ الْمُعَذَّبِينَ ٢١٣

अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी (२१३)

وَأَنْذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ ٢١٤

और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो (२१४)

وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ ٢١٥

और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो (२१५)

فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّي بَرِيءٌ مِمَّا تَعْمَلُونَ ٢١٦

किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, "जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।" (२१६)

وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ ٢١٧

और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो (२१७)

الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ ٢١٨

जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो (२१८)

وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ ٢١٩

और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है (२१९)

إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ ٢٢٠

निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है (२२०)

هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَنْ تَنَزَّلُ الشَّيَاطِينُ ٢٢١

क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है? (२२१)

تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ ٢٢٢

वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है (२२२)

يُلْقُونَ السَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَاذِبُونَ ٢٢٣

वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है (२२३)

وَالشُّعَرَاءُ يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوُونَ ٢٢٤

रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।- (२२४)

أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِي كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ ٢٢٥

क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं, (२२५)

وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ ٢٢٦

और कहते वह है जो करते नहीं? - (२२६)

إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَذَكَرُوا اللَّهَ كَثِيرًا وَانْتَصَرُوا مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا ۗ وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنْقَلَبٍ يَنْقَلِبُونَ ٢٢٧

वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं (२२७)